झांसी न्यूज डेस्क: झांसी नगर निगम चुनाव से जुड़ा एक बड़ा फैसला शुक्रवार को सामने आया, जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी। वार्ड 24 सिमराहा से निर्वाचित भाजपा पार्षद अंकित सहारिया का निर्वाचन कोर्ट ने शून्य घोषित कर दिया है। कोर्ट ने उन्हें अयोग्य ठहराते हुए दूसरे नंबर पर रहे निर्दलीय प्रत्याशी लालता प्रसाद को विजयी घोषित कर दिया। यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश सुनील कुमार यादव ने सुनाया।
विवाद की जड़ यह थी कि 2023 के चुनाव में वार्ड 24 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था। अंकित सहारिया ने खुद को अनुसूचित जनजाति से बताते हुए चुनाव लड़ा और 1129 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। लेकिन लालता प्रसाद ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर दावा किया कि अंकित वास्तव में पिछड़ा वर्ग (राय जाति) से हैं और उन्होंने गलत जानकारी देकर चुनाव लड़ा। कोर्ट में प्रस्तुत दस्तावेज़ों और तर्कों के आधार पर यह साबित हो गया कि अंकित सहारिया का निर्वाचन नियमों के खिलाफ था।
अंकित ने अपने बचाव में कहा कि उन्हें अनुसूचित जनजाति की एक महिला रामकुंवर ने गोद लिया था, इसलिए वह आरक्षण के पात्र हैं। हालांकि याची के वकील ने कोर्ट को बताया कि दत्तक लिए जाने के बावजूद व्यक्ति की मूल जाति नहीं बदलती, और कई उच्च न्यायालय के फैसलों का हवाला भी दिया गया। कोर्ट ने यह दलील मानते हुए न सिर्फ अंकित की जीत को अवैध करार दिया, बल्कि रामकुंवर द्वारा किए गए दत्तक ग्रहण और तहसील से जारी प्रमाण पत्र को भी अमान्य माना।
इस फैसले के बाद भाजपा को बड़ा झटका लगा है, वहीं लालता प्रसाद के समर्थकों में खुशी की लहर है। फैसले के बाद समर्थकों ने उन्हें फूल-मालाएं पहनाकर गांव में जुलूस के साथ ले जाया। यह मामला न सिर्फ स्थानीय राजनीति में चर्चा का विषय बन गया है, बल्कि आरक्षण व्यवस्था और जाति प्रमाण पत्र की वैधता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।